पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा: पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में जल्‍द लाया जाए

नई दिल्‍ली, जागरण ब्यूरो। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय से आग्रह किया कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने में अब देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इसकी शुरुआत जेट फ्यूल और नेचुरल गैस से करने का भी सुझाव दिया है। सोमवार को इंडिया एनर्जी फोरम के सेरावीक कार्यक्रम उद्घाटन करते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने जब यह आग्रह किया तो उसके कुछ ही देर बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी पहुंचीं। प्रधान ने कहा, ‘जीएसटी एक ऐतिहासिक सुधारवादी कदम और अब इसे लागू हुए दो वर्ष हो गए हैं। पेट्रोलियम सेक्टर लगातार यह मांग कर रहा है कि पेट्रोलियम उत्पादों को भी जीएसटी में शामिल किया जाए। मैं एक बार फिर वित्त मंत्री से अपील करता हूं कि वे एटीएफ और गैस से इसकी शुरुआत करें।’

जीएसटी को लागू करते समय पेट्रोलियम सेक्टर (क्रूड, पेट्रोल, डीजल, गैस, एटीएफ) को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। इसकी वजह यह है कि कई राज्यों के राजस्व में इन उत्पादों से होने वाली वसूली का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। लेकिन जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है तो घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की मांग होने लगती है। 

अभी जबकि सरकार पेट्रोलियम सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, तब देसी-विदेशी कंपनियां भी सभी पेट्रोलियम उत्पादों पर एक समान टैक्स लगाने की मांग कर ही हैं। प्रधान की इस मांग के पीछे एक वजह यह भी है कि सभी पेट्रो उत्पादों पर समान टैक्स लगने पर गैस को बढ़ावा मिलेगा। सरकार चाहती है कि देश की अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी मौजूदा छह फीसद से बढ़कर वर्ष 2030 तक 15 फीसद हो जाए।

प्रधान के मुताबिक, जिस तेजी से देश की अर्थव्यवस्था गैस आधारित हो रही है, उसे देखते हुए अगले कुछ वर्षो में 118 अरब डॉलर (आठ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) के निवेश की जरूरत होगी। इसमें से वर्ष 2023 तक ही 58 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। उसके बाद के वर्षो में पाइपलाइन लगाने, टर्मिनल स्थापित करने, आयात करने और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क लगाने में निवेश होगा। 

उन्होंने कहा कि अब वैश्विक पेट्रोलियम कंपनियां भी भारत के पेट्रोलियम सेक्टर में भरोसा दिखाने लगी हैं। सउदी अरैमको, एडीएओसी, बीपी, शेल, टोटल व एक्सॉनमोबील जैसी कंपनियां भारत में निवेश करने लगी हैं। लेकिन सरकार की मंशा स्पष्ट है कि हम धीरे-धीरे गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाकर पर्यावरण का भी संरक्षण करेंगे।

वित्त मंत्री ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत सरकार की तरफ से ऊर्जा सेक्टर में, खास तौर पर रिन्युअल सेक्टर में निवेश करने को इच्छुक कंपनियों को यह भरोसा दिलाया कि उन्होंने कानूनी तौर पर जो भी समझौता किया है उसका सम्मान किया जाएगा। भारत के ऊर्जा सेक्टर या इसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए निवेश करने वाले सभी समझौतों का पालन किया जाएगा। 

सीतारमण का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि पिछले कुछ वर्षों में सोलर इनर्जी सेक्टर की कुछ कंपनियों ने जो समझौते किये हैं उनके खिलाफ कई राज्यों में सुगबुगाहट हो रही है। हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने सोलर इनर्जी प्लांट लगाने के समझौते को बदलने की बात कही है। इससे अनिश्चितता बन गई है और भारत के सोलर सेक्टर के लिए इसे एक बड़ा धक्का माना जा रहा है।

 

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