विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान : राज्यपाल श्री टंडन

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा कि हमारी संस्कृति, ज्ञान, कला कई क्षेत्रों में भले ही भिन्न हो लेकिन जब यह एकत्र होते हैं तो उनमें पूरा भारत दिखाई पड़ता है।  विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। राज्यपाल श्री टंडन जबलपुर के शहीद स्मारक प्रांगण में दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।  

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता है। हमारे देश के विभिन्न प्रांतों की कला, संगीत, परम्परायें और शैली भले ही अलग-अलग हों लेकिन उनमें एकता की भारतीय संस्कृति विद्यमान रहती है।  उन्होंने कहा कि किसी देश ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखा है तो वह भारत देश ही है। भारत का शास्त्रीय संगीत आज भी दुनिया के लिये आश्चर्य का विषय है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे समाज में वनवासी और आदिम जाति कितनी भी कठिन परिस्थितियों में रहे हों लेकिन उन्होंने अपनी कला और संस्कृति को बनाए रखा है।  राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि विलुप्त होती कड़ियों को जोड़कर भारत की महान् संस्कृति को समाज के सामने प्रस्तुत कर परिचय कराना संस्कृति विभाग का सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से कलाकारों के सम्मान के साथ ही पर्यटन और संस्कृति का भी संवर्धन होगा। 

केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा संस्कृति और लोक कला भारत की अनूठी पहचान को प्रदर्शित करती है।  संस्कृति मंत्रालय द्वारा मध्यप्रदेश में संस्कारधानी जबलपुर से प्रारंभ कर सागर और रीवा में भी राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

इस मौके पर विभिन्न प्रांतों के 7 सांस्कृतिक केन्द्र के कलाकारों द्वारा लोकनृत्य की विभिन्न संस्कृति और परम्परा के अनुरूप आकर्षक एवं नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। 

इस अवसर पर विधायकगण अन्य जन-प्रतिनिधि और केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरूण गोयल मौजूद थे।

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