उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत के लौह पुरुष के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों का सफल एकीकरण सरदार पटेल की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के एकीकरण का काम सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपा गया था और हम जानते हैं कि उन्हें किस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से अब चीजें पटरी पर हैं और वैश्विक मान्यता मिल रही है।
‘कर्तव्य काल’ के माध्यम से साकार किए गए ‘अमृतकाल’ को ‘गौरवकाल’ बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘पारदर्शिता, जवाबदेही और उपलब्धि’ अब देश में नए मानदंड बन गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता के गलियारे, जो कभी भ्रष्टाचार और सत्ता-दलालों से प्रभावित थे, अब पूरी तरह से स्वच्छ हो गए हैं और यह एक बड़ी उपलब्धि है।
बैठक को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने आज संसद को “संवाद, बहस, विचार-विमर्श और चर्चा के लिए एक पवित्र सदन” के रूप में वर्णित किया। इसके साथ ही उन्होंने युवा सोच को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे वे सदन में अशांति और व्यवधान के नापाक नैरेटिव का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकेंगे। सार्वजनिक अज्ञानता का फायदा उठाने के लिए कुछ हलकों की हालिया कोशिशों का जिक्र करते हुए उन्होंने इसे “हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा” बताया और इस खतरनाक प्रवृत्ति को तत्काल बेअसर करने का आग्रह किया।
2030 तक देश को तीसरी आर्थिक शक्ति बनाने के लक्ष्य के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के हाल ही में पांचवें स्थान पर पहुंचने की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने “आर्थिक राष्ट्रवाद” की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ आह्वान को दोहराया और कहा कि पतंग, दीया, मोमबत्तियां आदि जैसी बुनियादी रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं के आयात से बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की अनावश्यक बर्बादी के कारण पर्याप्त व्यापार घाटा होता है और इससे हमारे लोग उद्यमिता में शामिल होने से वंचित रह जाते हैं।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए-ईसी के अध्यक्ष श्री जितेंद्र सिंह, आईआईपीए के महानिदेशक श्री सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी, आईआईपीए के रजिस्ट्रार श्री अमिताभ रंजन, संकाय सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए।