Cyber Crime: साइबर ठगी का नया तरीका, वाहन ऋण की जानकारी चुराकर दे रहे झांसा

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संवाददाता सुरेश मालवीय 8871288482

भोपाल। साइबर ठग आए दिन नए-नए तरीकों से लोगों से ठगी करते रहते हैं। अब साइबर बदमाशों के निशाने पर ऐसे लोग हैं, जो वाहन खरीदने के लिए निजी फाइनेंस कंपनियों से ऋण ले रहे हैं। ऐसे लोगों के फोन नंबर जुटाकर बदमाश तरह-तरह के बहाने बनाकर उनसे रुपये जमा करवा ले रहे हैं। एक माह में भोपाल में ऐसे तीन मामले सामने आ चुके हैं। साइबर क्राइम पुलिस ने इनकी जांच की तो यह तथ्य तो स्पष्ट हो गया है कि ऋण देने वाली कंपनियों के यहां से ग्राहकों का डाटा लीक हुआ है। साइबर क्राइम पुलिस के उपायुक्त अमित कुमार का कहना है कि ऋण देने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी। साथ ही उन्होंने लोगों से सतर्क रहने को भी कहा है।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बागसेवनिया निवासी संदीपन शर्मा ने स्कूटर निजी कंपनी से फाइनेंस कराया था। वे स्कूटर लेकर आ भी गए। कुछ ही दिन बाद उनके पास पंकज सिंह नाम के व्यक्ति का फोन आया। उसने कहा कि उनके चेक कम पड़ गए हैं और उन्हें 20 हजार रुपये जमा कराने होंगे। बाद में चेक जमा होने पर ये रुपये उनके खाते में रिफंड कर दिए जाएंगे। उसने संदीपन को ऋण से जुड़ी पूरी जानकारी भी दी तो उन्हें उस पर भरोसा हो गया। उन्होंने 20 हजार रुपये बताए गए खाते में जमा कर दिए। बाद में उस नंबर पर फोन किया तो फोन बंद मिला। उन्होंने मामले की शिकायत साइबर क्राइम पुलिस में की।

शिकायत करने के बाद भी नहीं बची रकम

अशोका गार्डन में रहने वाले नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया कि उन्होंने चार पहिया वाहन खरीदा था। उनके पास एक व्यक्ति का फोन आया और उसने ऋण के दस्तावेज में कमी की बात कहकर उनसे एक लाख रुपये जमा करवाने को कहा। उन्होंने फोन करने वाले का पहचान पत्र मांगा तो उसने उस निजी बैंक का बना हुआ पहचान पत्र भी भेज दिया। इसके बाद उन्होंने 92 हजार रुपये जमा कर दिए। घटना के तीन घंटे बाद उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस के नंबर पर जानकारी दे दी, लेकिन आरोपित ने खाते में जमा रुपये निकाल लिए थे। जानकारी देने के बाद भी साइबर क्राइम पुलिस रकम नहीं बचा सकी।

दस्तावेज सत्यापन के नाम पर 40 हजार रुपये ठग लिए

शाहपुरा के सिद्धांत शर्मा का कहना है कि उन्होंने बाइक खरीदने के लिए लोन लिया था। बाद में दस्तावेज सत्यापन के नाम पर फोनपे से 40 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया। सामने वाले के पास उनकी पूरी जानकारी थी, इसलिए उन्होंने भरोसा कर रकम जमा कर दी। बाद में उस नंबर पर फोन किया तो वह बंद मिला।

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