बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मिलीभगत से चल रहा अवैध उत्‍खनन का गोरखधंधा

बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष विष्णुदत्त शर्मा अपने खास मित्र और अवैध कारोबार के साथी खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के साथ मिलकर गंगा जैसी पवित्र दो राज्यों को सींचने वाली केन नदी को छलनी करने पर उतारू हैं। रेत के अवैध उत्‍खनन और परिवहन से नदी दुर्दशा की शिकार हो रही है। यह नदी 427 किलोमीटर लम्बी कटनी जिले के रीठी से निकलकर चिल्ला घाट वादा उप्र में यमुना नदी में मिल जाती है। एक तरफ तो भारत सरकार गंगा को पवित्र बनाये रखने के उददेश्य से हजारों करोड़ रूपये गंगा के संरक्षण एवं संवर्द्धन में खर्च कर निर्मल बनाये रखने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। वहीं विष्णुदत्त शर्मा और बृजेन्द्र प्रताप सिंह दोनों मिलकर केन नदी का अस्तित्‍व ही खत्‍म करने पर तुले हैं। यह गोरखधंधा खुलेआम हेवी मशीनों से केन नदी का सीना चीरकर, लिफ्टरों के माध्यमों से रेत की निकासी कर उप्र के कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद मध्यप्रदेश के सतना, जबलपुर जैसे शहरों में हजारों डम्फरों के माध्यम से प्रतिदिन अवैध रेत की निकासी कर लाखों रूपये प्रतिदिन कमाई का जरिया बना हुआ है। जगह-जगह केन नदी में हो रहा अवैध उत्खनन से नदी की जलधारा को मोड़कर अवैध खनन ने नदी की सूरत बिगाड़ दी है। नदी में जगह-जगह टीले नजर आने लगे हैं। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार नदी के कोने-कोने पर पौराणिक एवं प्राचीनकालीन पुरामहत्व के स्मारकों के अवशेष मिले हैं। रेत का अवैध कारोबार से अभी तक केन नदी से 3700 करोड़ से अधिक का कारोबार हो गया है।

पीएमओ से मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को आदेश के बाद भी आज दिनांक तक प्रतिवेदन नहीं भेजा
आर.टी.आई. फाइल नं. 5230/2022- पीएमआर से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय के पत्र क्र. 5502361/पीएमओ/2022 दिनांक 06.06.2022 को मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन भोपाल से मप्र के लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्‍यक्ष अनुरागी लखनलाल के पत्र दिनांक 09.05.2022 में की गई शिकायत पर बीजेपी अध्‍यक्ष विष्णुदत्त शर्मा एवं खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के विरुद्ध केन नदी पर पर्यावरण में निहित शर्तों का उल्लघन कर रेत के अवैध उत्तखनन कर परिवहन 3700 करोड़ की राजस्व चोरी, केन नदी की दुर्दशा, पानी का बहाव रोकर लिफ्टरों के माध्यम से रेत का अवैध उत्खनन जैसे बिन्दुओं पर शासन से अभिमत सहित प्रतिवेदन चाहा गया था। लेकिन आज दिनांक तक प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा खनिज साधन विभाग मंत्रालय के पत्र क्रमांक 4006/842445/2022/12/1 भोपाल दिनांक 27.09.2022 में संचालक प्रशासन तथा खनिकर्म अरेरा हिल्स भोपाल मध्यप्रदेश से प्रतिवेदन चाहा था लेकिन आज दिनांक चाहा गये प्रतिवेदन से सम्बन्धित जांच कार्यालय में लम्बित है तथा कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है।

वीडी शर्मा से हो रहा बीजेपी को भारी नुकसान
वीडी शर्मा के बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष बने रहने से पार्टी को भारी नुकसान हो रहा है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार के बाद वीडी शर्मा पार्टी के कार्यकर्ताओं को मजबूत संदेश नही दे पा रहे हैं। वीडी शर्मा चाहते हैं कि 2023 के चुनाव तक वह अध्‍यक्ष बने रहे और मुख्‍यमंत्री बनने की रेस में रहें। वस्‍तु स्थित यह है कि लोकेंद्र पाराशर को मीडिया प्रभारी से हटाने के लिए एक साल लग गया। शर्मा ने जिसे मीडिया प्रभारी बनाया है वह अनुभवहीन है। वीडी शर्मा के प्रदेश अध्‍यक्ष बनते ही सालों से जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए दिनरात काम कर रहे हैं उनसे शर्मा सीधे बात नही करते हैं। जबकि अध्‍यक्ष को सारे कार्यकर्ताओं को समान भाव से देखना चाहिए। दीपक जोशी भाजपा छोड़ रहे थे। मुख्‍यमंत्री से लेकर मंत्री तक जोशी को सभी मनाते रहे पर वीडी शर्मा ने एक भी बार भी दीपक जोशी से बात नही की। जिले में वीडी शर्मा बैठक लेने जाते हैं तब शर्मा कार्यकर्ताओं से भेंट मुलाकात नही करते। उनकी आवाज में कड़वाहट एवं अहंकार झलकता है।

बीजेपी नेता व पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने जताया वीडी शर्मा से जान का खतरा
बीजेपी नेता व पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने शर्मा से खुद की जान को खतरा बताया है। जबलपुर से विधायक रहे हरेंद्रजीत का आरोप है कि शर्मा पार्टी में गुटबाजी बढ़ा रहे हैं। मेरी हत्या भी हो सकती है। हरेंद्रजीत ने ये आरोप मीडिया से चर्चा के दौरान लगाए। उन्होंने कहा, ‘मैंने अजय जामवाल, मुरलीधर राव सहित पार्टी के नेताओं के सामने अपनी बात रखी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मेरा कहना है कि अगर 2023 का चुनाव जीतना है और भाजपा की सरकार बनाना है, तो ऐसे आदमी को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर लाएं, जो साफ-सुथरा हो। किसी तरह से ग्रुपबाजी न हो। पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शर्मा ग्रुपबाजी कर रहे हैं। इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है।

जैसे ही वह महामंत्री और अध्यक्ष बने, उन्होंने पूरे प्रदेश में ग्रुपबाजी चालू कर दी। इसका नुकसान हो रहा है। पिछली बार 5 सीटों में हमारी सरकार बन जाती। महापौर के चुनाव में उन्हीं के इलाके से बीजेपी प्रत्याशी हार गए। मेरा कहना है कि कोई अच्छा अध्यक्ष बनाना चाहिए, जो सबको लेकर चले, समझाए और बात करे। शर्मा के कार्यकाल में अब इसको हरा दो, उसको निपटा दो, उसको अलग करो, इसको मत पूछो …ये सब चल रहा है। अध्यक्ष का काम होता है सबको साथ लेकर चलना। किसी को हराओ मत। पूर्व में भी वीडी शर्मा जब उज्‍जैन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी के रूप में पदस्‍थ थे तब प्रोफेसर सभरवाल हत्‍या काण्‍ड के संदेही लोगों में शामिल रहे थे गौरतलब बात यह है कि इनको उस मामले से निकालने के लिये भोपाल में एक बड़े पत्रकार संपादक ने सीधे उस समय के मुख्‍यमंत्री से सीधे बात करके इनका नाम केस से हटवाया था।

तो क्‍या बीजेपी 50 सीटों पर सिमट जायेगी?
उल्लेखनीय है कि वीडी शर्मा का दो वर्षीय कार्यकाल कुछ समय पहले ही खत्म हो चुका है और शर्मा को शीर्ष नेतृत्व में नया प्रदेश अध्यक्ष न मिलने की स्थिति में अध्यक्ष पद का दायित्व अतिरिक्त रूप से दे रखा था। लेकिन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के उद्देश्य के साथ भाजपा आलाकमान इस परिवर्तन को लेकर तैयारी में जुट गया है। प्रदेश अध्यक्ष शर्मा को हटाये जाने को लेकर जो कारण बताये जा रहे हैं उनमें प्रमुख कारण है कि वीडी शर्मा से कार्यकर्ता बुरी तरह से खफा है। इसकी शिकायत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष तक से की है। बताया जा रहा है कि कुछ मजबूरी में बीजेपी हाईकमान वीडी शर्मा को हटा नहीं पा रहा है। लेकिन अब स्थितियां ऐसी बन गई हैं कि जल्द ही शर्मा को हटाया जा सकता है। शर्मा के कार्यकाल में मध्यप्रदेश से संगठन लगभग खत्म हो गया है। शर्मा के लड़कपन वाले फैसलों ने संगठन को निष्क्रिय बना दिया है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में संगठन की पकड़ कमजोर हुई है। राजनीतिक जानकारों का तो यहां तक कहना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो 2023 के विधानसभा में बीजेपी 50 सीटों पर सिमट जायेगी। इसके साथ ही यह बात भी सत्य है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के इतिहास में सबसे खराब निर्णयों के लिए जाना जायेगा। अभी हाल ही में बीजेपी संगठन में बदलाव किये हैं। इस बदलाव में कई ऐसी नियुक्तियां हैं जिनमें शर्मा ने अपनी चलाई है और कम तजुर्बोकारों को जगह दिलाई गई है। अपने कार्यकाल के दौरान वीडी शर्मा ने केवल अपने संसदीय चुनावी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रमुख पदों पर अधिक महत्व दिया। यही नहीं छोटे-छोटे शहरों के अनुभवहीन कार्यकर्ताओं को जिस तरह से वो पार्टी के प्रमुख जिम्मेदारियों से जोड़ने का काम कर रहे हैं उससे पार्टी आलाकमान पूरी तरह से खफा है। इप्रदेश अध्यक्ष का सबसे प्रमुख काम होता है सत्ता और संगठन में बेह‍तर तालमेल बिठाना। लेकिन वीडी शर्मा के साथ इसके बिल्कुाल उलट है। विश्वरस्त सूत्रों की मानें तो वीडी शर्मा की मुख्यंमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, बीजेपी के राष्ट्री य महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर सहित संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मनमुटाव चल रहा है।

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

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