केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज अपनी मीडिया इकाइयों और भारतीय सूचना सेवा (आईआईएस) के अधिकारियों सहित सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियोंसे सरकारी संचार में नई तकनीकों का उपयोग करने और नई सीमाओं में विस्तार करने का आह्वान किया।श्री ठाकुर आज नई दिल्ली में सुशासन के साधन के रूप में नागरिक केंद्रित संपर्क पर आयोजित सम्मेलन में एक दिवसीय ‘चिंतन शिविर’का उद्घाटन करते हुए उपस्थित जनों को संबोधित कर रहे थे। पूरे देश के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अपने श्रोताओं को आगाह करते हुए श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मीडिया का परिदृश्य बड़ी तेजी से बदल रहा है और इसी प्रकार लोगों का सूचना का उपयोग करने का तरीका भी बदल रहा है। इस बारे में उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने और सूचना के प्रसार के अपने ही तरीकों को अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सूचना सेवा भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैऔर इस चिंतन शिविर ने अधिकारियों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के काम में सहयोग करने, आत्म-निरीक्षण करने और समय पर सही काम करने का एक विशेष अवसर प्रदान किया है। उन्होंने अधिकारियों को संसाधनों का बेहतर उपयोग करने, प्रयासों के समन्वय औरसूचनाओं को साझा करने तथा एक टीम के रूप में योगदान देते हुए उच्च प्रभावशीलता की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से अपने लिए एक समय सीमा निर्धारित करने और मंत्रालय की प्राथमिकताओं और उत्पादों के साथ-साथ अपने संगठन की प्राथमिकताओं और उत्पादों की जांच करने और अद्यतन करने का आग्रह किया। उन्होंने कर्मयोगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का जिक्र करते हुए अधिकारियों से समय-समय पर आत्म निरीक्षण करने को कहा, ताकि वे यह देख सकें कि क्या वे देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देने में सक्षम हैं।
उन्होंने मंत्रालय के संचार के लक्ष्य के लिए एक स्पष्ट प्राथमिकता बतातेहुए कहा कि जिसप्रकार सरकार वंचितों के कल्याण की ओर उन्मुख है, वैसे ही अंत्योदय के मंत्र को अधिकारियों की गतिविधियों का मार्गदर्शनकरना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का एक बड़ा हिस्सा मीडिया की छाया में रहता है, जो टेलीविजन और समाचार पत्रों की सुविधाओं से वंचित है। यह अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे समाज के उस वर्ग तक पहुंचें।
इससे पहले, सूचना एवं प्रसारण सचिव ने इस शिविर के मूल विषय को पांच सत्रों में विभाजित किया और कहा कि इन सभी विषयों में बहुत प्रासंगिकता है। समूह में विभाजित अधिकारी
इस शिविर में विचार-मंथन करेंगे और अंत में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
विचार-विमर्श के पांच विषय इस प्रकार हैं-
नागरिकों के साथ सहभागी संचार- जनभागीदारी
पहुंच को अधिक से अधिक करने के लिए सार्वजनिक संचार में उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाना
गलत सूचना से निपटने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र का संस्थानीकरण
क्षेत्रीय संचार के माध्यम से लक्षित पहुंच
लोक सेवा प्रसारण को मजबूत बनाना
सरकारी संचार से संबंधित मुद्दों के बारे में मंथन करने और भारत सरकार की संचार और आउटरीच गतिविधियों के मार्गदर्शन के लिए एक कार्य योजना और रोडमैप तैयार करने के लिए राष्ट्रीय मीडिया केंद्र,नई दिल्ली में इस एकदिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है।