आजादी से पहले महात्मा गांधी ने दलितों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए इस समाज को “हरिजन” की उपाधि दी। देश आजाद तो हो गया पर दलितों की स्थिति में बहुत अंतर नहीं आ पाया, हां इनको लेकर राजनीति जरूर होती रही है। देश के लगभग हर राजनीतिक दल दलित हितैषी होने का दंभ भरती रही है, बल्कि जो दल इस समाज की बुनियाद से बने वो भी दलितों के लिए कुछ खास नहीं कर सके हैं। मध्यप्रदेश में पिछले 20 सालों के शिवराज सिंह की अगुवाई में भाजपा शासन कर रही है और इनके राज में दलित अत्याचारों के मामलों में देश के अग्रणी राज्यों में मध्यप्रदेश है। सवाल यह है अपने आपको प्रदेश के मामाजी कहलाने वाले शिवराज सिंह चौहान दलित माताओं, बहनों और बच्चों के खिलाफ अपराध कम क्यों नहीं कर पाए हैं?
दबंगों ने दलित संतोष, अर्जुन और देशराज को खिलाया मानव मल, पीड़ितों को शिवराज ने मुख्यमंत्री निवास बुलाने और पैर धोने से क्यों किया परहेज़?
मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार और अपमान की परिकाष्ठा वाली दो घटनाएं हुई। पहली घटना शिवपुरी के नरवर बरखाड़ी गांव की है। जहां संतोष और अर्जुन नाम के युवकों से पहले मारपीट की गई। अत्याचार की पराकाष्ठा को लांघते हुए इसके बाद दबंगों ने इन युवकों को मानव मल खिलाया गया। दूसरी घटना छतरपुर की महाराजपुर थाना क्षेत्र के डिकौरा गांव की है। गांव के देशराज अहिरवार को मामूली विवाद के बाद उनके मुंह में मानव मल डाला गया। क्या सचमुच हमारा प्रदेश इतना खराब हो गया है? शिवराज सिंह जी यह आपके कुशासन का नमूना भर हैं। ऐसे कितने ही दलित अत्याचार रोज होते हैं। एनसीआरबी डाटा के अनुसार 2021 में प्रदेश में 7214 मामले आए, यानी आपके राज में रोज 19-20 दलितों पर अत्याचार होता है। पिछले 20 वर्षों के आपके राज में एनसीआरबी डाटा के अनुसार मध्यप्रदेश दलित अत्याचारों में दर्ज मामलों में पांचवी पायदान से पहली पायदान पर रहा है। यह शर्म की बात है कि सुदामा के साथ पेशाब कांड होने के बाद उनको तो मुख्यमंत्री निवास बुलाया गया, उसके पैर धोकर उस पानी को माथे से लगाया गया, पर संतोष, अर्जुन और देशराज के साथ आपने वो बर्ताव नहीं किया। क्या यह युवक दलित समाज से आते हैं, इस कारण आपने इनको मुख्यमंत्री निवास बुलाकर सम्मान नहीं किया। इनके पैर धोने से गुरेज किया और उस पानी को अपने माथे से नहीं लगाया। महान संत रविदास जी कहते हैं “‘रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच” अर्थात इंसान जन्म नहीं कर्म से नीच बनता है। दलितों के साथ आप यह दोयम दर्जे का व्यवहार बंद करें। आप उनके भी मुख्यमंत्री हैं।
कृषिमंत्री कमल पटेल के क्रिमिनल पुत्र सुदीप पटेल ने किया था दलित पर अत्याचार
प्रदेश में दलितों पर अत्याचार और उसकी सुनवाई ना होने का किस्सा कृषिमंत्री कमल पटेल के अपराधी प्रवत्ति वाले पुत्र सुदीप पटेल का है। सुदीप पटेल जो कि स्वयं भी भाजपा नेता है। उन्होंने 2019 में हरदा जिले के समाजसेवी एवं अधिवक्ता सुखराम बामने को गंदी-गंदी गालियां देकर धमकाया। पूर्व के 14 से ज्यादा आपराधिक मामले मंत्री पुत्र सुदीप पटेल पर दर्ज हैं। निश्चित ही इन पर और इनके परिवार को भी आप 10 फीट जमीन में गाढ़ेंगे, बुल्डोजर चलवाएंगे और एनएसए लगवायेंगे। अगर सच में आप भाजपा दलित हितैषी हैं तो कमल पटेल को कम से कम टिकिट से वंचित तो रखना ही चाहिए, ताकि प्रदेश के दलित समाज के प्रति न्याय का संदेश पहुंचे।
विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन