नई दिल्ली। जब इंसान की उम्र 30 से 35 के बीच पहुंचती है तो उसे अपने शरीर में कुछ गड़बड़ नज़र आने लगती है। डॉक्टरों के मुताबिक, हर दस साल पर इंसान के शरीर में हड्डियों का द्रव्यमान घटता है। 40 से 80 साल की उम्र में इंसान के शरीर की 40 फीसदी मांसपेशियां गल जाती हैं।
विज्ञान बताता है कि ज़िंदा इंसान की कोशिकाएं हर समय अलग होती हैं जो फिर नई कोशिकाओं में तब्दील हो जाती हैं। शरीर में इसी क्रिया की वजह से विकास होता है। लेकिन उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे कोशिकाएं ये क्रिया करना बंद कर देती हैं। 40 फीसदी मांसपेशियां को खोने के बाद जो मांसपेशियां बचती हैं वो भी कमजोर होती जाती हैं। उम्र के साथ-साथ शरीर की लचक भी कम होती चली जाती है। शरीर के अंदर इन सभी बदलाओं की वजह से इंसानों का डीएनए भी बिगड़ने लगता है। डीएनए में हो रही इसी गड़बड़ी की वजह से कैंसर जैसी बीमारी को शरीर न्योता देने लगता है। ऐसा होने पर रोग प्रतिरोधी तंत्र भी खराब होने लगता है।
गौरतलब है कि, इंसानी शरीर बिलकुल एक मशीन की तरह काम करता है और मौत उस मशीन के बंद होने की आखिरी प्रक्रिया है।