डिण्‍डौरी में बेटियों के साथ हुई शर्मसार करने वाली घटना

बेटियों की सुरक्षा, सम्मान की बात करने वाली मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने प्रदेश की पांच बेटियों की निजता का सरेआम हनन किया है। एक तरफ जहां सरकार लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली लक्ष्मी 2.0 और लाड़ली बहना योजना का गाना जोर-शोर से गा रही है। दूसरी तरफ सरकार के लापरवाह अधिकारी बेटियों को सरेआम बेइज्जत करने से बाज नहीं आ रहे हैं। बीते दिनों डिंडौरी जिले में हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन की घटना ने प्रदेश की प्रशासन व्यवस्था को झंकझोर कर रख दिया है। दरअसल सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होने आई 224 बेटियों का प्रशासन के अधिकारियों ने शादी के पहले ही प्रैग्नेंसी टेस्ट करवा लिया। इस टेस्ट में पांच बेटियां प्रेगनेंट मिली जिसके बाद सरकार ने पहले तो इन्हें अपात्र घोषित किया और उसके बाद सरेआम इनकी निजता का हनन करते हुए इस पूरे मामले को जहर की तरह समाज में फैला दिया। बेटियों के साथ हुए इस अन्याय का दोषी कौन है। घटना के चार दिन बाद भी सरकार अब तक पता नहीं लगा पाई है। आखिर किसने प्रशासन को बेटियों के प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने की इजाजत दी थी। प्रदेश सरकार के इस कदम से सड़क से लेकर दिल्ली तक हर तरफ हंगामे हो रहे हैं।

दोषियों पर हो कड़ी कार्यवाही
खुद को बेटियों का मामा, बहनों का भाई बताने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब तक इस पूरे मसले पर कोई कार्यवाही करना भी उचित नहीं समझा। यही नहीं मुख्यमंत्री द्वारा इस पूरे घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी भी नहीं आई जिसने बेटियों के मामा होने पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जबकि मुख्यमंत्री को चाहिए कि घटना की जानकारी होने के बाद ही तत्काली प्रभाव से जिम्मेदार अफसरों पर कार्यवाही करते हुए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देना चाहिए। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री नींद में हैं
सामूहिक विवाह सम्मेलन से पहले प्रग्नेंसी टेस्ट करवाये की घटना से स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी भी पूरी तरह से अंजान हैं। मंत्रालय में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि प्रेग्नेंसी टेस्ट कराये जाने के आदेश डॉ. प्रभुराम चौधरी के यहां से ही दिये गये थे। जबकि यह बेटियों की सुरक्षा और उनके अधिकार के खिलाफ था। लेकिन प्रभुराम चौधरी के इशारे पर स्थानीय अधिकारियों ने टेस्ट करवाया और बेटी को अपात्र घोषित करवाकर शादी से वंचित कर दिया।

कमलनाथ ने लिखा महिला आयोग को पत्र
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भाजपा की शिवराज सरकार द्वारा किये गये इस घिनौने कृत्य पर घोर आपत्ति दर्ज करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है। कमलनाथ ने यह भी कहा कि बेटियों का सम्मान करने का शिवराज सरकार का यह कौनसा तरीका है, जो उनके निजता के अधिकार का हनन करता है। कमलनाथ ने शिवराज सरकार के जिम्मेदारी मंत्री, प्रशासन के अधिकारी सहित कलेक्टर पर भी कार्यवाही किये जाने की मांग की है।

15 सालों से हो रहे इस मामले पर विवाद
मप्र में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत प्रेग्नेंसी टेस्ट कराये जाने का मामला बीते 15 सालों से चला आ रहा है। इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं हुई लेकिन फिर भी सरकार ने न तो अपने नियम बदले और न हीं बेटियों की निजता को सुरक्षित रखने का कोई रास्ता खोजा। इससे पहले बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक हरदू गांव में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में कुछ दुल्हनों के प्रेग्नेंट होने का मामला सामने आया था। खास बात यह है कि यह पूरी घटना स्थानीय विधायक गीता उइके और विजय शाह के सामने हुआ था। उस समय भी यह जिम्मेदार मौन बने बैठे रहे। यही नहीं उसी वर्ष डिंडौरी जिले में ऐसा ही वाक्या हुआ जिसमें 40 आदिवासी बेटियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाया गया। जिसमें पांच लड़कियां प्रेग्नेंट पाई गई। इसके बाद शहडोल में वर्ष 2009 में इसी तरह की घटना हुई। जहां 152 में से 14 बेटियां प्रेग्नेंट पाई गई। इनके सालों में भी सरकार ने इस प्रक्रिया को समाप्त करने के बारे में सोचना उचित नहीं समझा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो चुकी है प्रदेश की छवि
इसी तरह का मामला जब मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सामने आया तो उस समय मुख्यमंत्री कन्यादान योजना सहित प्रदेश सरकार की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हुई। इस पूरे मसले को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बड़ा मुद्दा बनाया गया था। यूके के मेल ऑनलाइन ने भी मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले को प्रमुखता से उठाया था। गौरतलब है कि विदेशी मीडिया में उठाए गया ये मामला कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी इस तरह के मामलों को विदेशी मीडिया में उठाया जाता रहा है।

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

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