अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हर दिन सैकड़ों मरीजों का उपचार करने वाले विदेशी रेजीडेंट डॉक्टर बीते कई वर्षों से जीरो वेतन पर काम कर रहे हैं। इन्हें न तो किसी तरह का वेतन मिलता है और न ही आर्थिक सहायता। दिल्ली जैसे मेट्रो शहर में अपने परिवार के साथ इनका जीवनयापन अब मुश्किल में पड़ गया है। इसलिए नेपाल सरकार ने भी पीएमओ से इस मामले में दखल देने की अपील की है।