माधव को मिला पिता की हार का बदला लेना मौका, पूर्व में नरेन्द्र नाहटा से हारे थे रामेश्वर मारू, चुनावी रण में मारू ने कसी कमर

नीमच। मनासा विधानसभा से वर्ष 1993 में त्रिकोणिय मुकाबले के बीच रामेश्वर मारू निर्दलिय उम्मीदवार के रूप में चुनाव रण में उतरे थे। इधर कांग्रेस के नरेन्द्र नाहटा औैर भाजपा के राधेश्याम लढा आमने सामने थे। भाजपा— कांग्रेस की इस लड़ाई में रामेश्वर मारू का नाम भी प्रबल उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन चुनावी नतिजो के सामने आने पर जहां भाजपा के राधेश्याम लढा को करारी शिखस्त का सामना करना पड़ा वही रामेश्वर मारू को 27015 मत मिले इधर कांग्रेस के नाहटा सर्वाधीक मत 39253 पाकर विजयी हुए।
गौरतलब है कि वर्ष 1993 के इस त्रिकोणिय मुकाबले में रामेश्वर मारू की शिखस्त का बाद उनके बेटे माधव मारू को फिर से एक बार चुनाव मैदान में अपना परचम लहराने का मौका मिला है। कयास लगाए जा रहे है कि माधव मारू ने अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए कमर कस ली है।
उल्लेखनीय है कि माधव मारू को पूर्व में भी मनासा की जनता ने अपना अमूल्य मत देकर विजयी बनाया था इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दुसरी बार मारू को अपने उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है। बात करे नरेन्द्र नाहटा की तो वह निर्दलीय उम्मीदवार रहे रामेश्वर मारू के सामने जरूर विजयी होने में सफल रहे है, लेकिन वह वक्त दुसरा था, आज देश की बड़ी पार्टी भाजपा का सेम्बोल भी माधव मारू के साथ है। इस रण में कांग्रेस के उम्मीदवार नरेन्द्र नाहटा को माधव मारू के साथ साथ भाजपा का भी सामना करना है।
इस बार त्रिकोणिय मुकाबला नही बल्कि माधव और नाहटा की आमने — सामने टक्कर है और इस चुनावी महासंग्राम में माधव को पहली बार अपने पिता का बदला लेने का मौका मिला है। कयास लगाए जा रहे है मारू इस मौके कभी भी गवाना नही चाहेंगे।

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