मालनवासा मे धांधली का खुलासा होने के बाद सुसनेर क्षेत्र की 4 ओर सहकारी संस्थाओ से भी घोटाले की खुश्बु आने लगी है

सुसनेर क्षेत्र की सहकारी संस्था मालनवासा की
ऑडिट रिपोर्ट से घोटाले का खुलासा होने के बाद क्षेत्र की 4 अन्य सहकारी संस्थाओं में भी घोटाले की आहट सुनाई देने लगी है। वर्ष 2018 में सहकारिता विभाग के डीआर कार्यालय से एक जांच दल के जरीए कराई गई जांच में मालनवासा के अलावा मैना, गैलाना, जामुनिया तथा एक अन्य सहकारी संस्था में गड़बड़िया सामने आई थी। किन्तु उस समय अधिकारीयों के दुलमुल रवैये के चलते कोई कारवाई नहीं हो सकी थी। सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन सहकारी संस्थाओं में किसानो के केसीसी ऋण जो की अन्य अवधि और दीर्घ अवधि के लिए होते है के वितरण में धांधलिया की गई है। जो किसान सहकारी संस्था का सदस्य होता है उसकी जमीन के दस्तावेजो के आधार पर फार्म भर कर के सम्बंधित संस्था के द्वारा जिला कार्यालय को भेजा जाता है तथा जिला कार्यालय से उक्त दस्तावेजों के आधार पर ऋण देने की लिमिट तय होती है तथा उस तय लिमिट के अंदर ही सम्बंधित कृषक को ऋण दिया जा सकता है। किन्तु जितनी लिमिट स्वीकृत है। उससे ज्यादा का ऋण कृषको को वितरित किया गया है। सहकारी संस्था मैना मे तो 300 के लगभग ऐसे कृषक है जिनको की 3 लाख से 5 लाख तक का कैसीसी ऋण स्वीकृत किया गया है। जबकि नियमों के अनुसार अधिकतम ढाई लाख रुपये तक का ऋण ही स्वीकृत किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सहकारी संस्था गैलाना, मैना और जामनिया में बढी संख्या में ऐसे कृषको के ऋण भी स्वीकृत किये जाकर उन्हें लोन दिया गया है। जिनकी लिमिट की राशि वरीष्ठ कार्यालय से स्वीकृत ही नहीं है। जो कि नियमों के विपरित है। सहकारिता विभाग के जिम्मेदार इनमें से किसी भी एक संस्था की वार्षिक पत्रक और बेलेंसशीट के आधार पर भौतिक सत्यापन कर मामले की जांच कर ले तो सारी सच्चाई सामने आ सकती है।

सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत कि गई पर नतीजा सिफर

सहकारी संस्था मालनवासा के द्वारा कृषको को ॠण वितरण में धांधली किए जाने की शिकायत 181 सीएम हेल्पलाइन पर भी हो चुकी है। इस सोसायटी से जुड़ी रेखाबाई नामक एक महिला ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर करते हुए बताया है कि उसे जो केसीसो ऋण स्वीकृत किया गया था वो उसे अभी तक दिया नहीं गया है। गुरुवार तक महिला की शिकायत पर मामले की जांच की जा रही थी मामले का निपटारा नहीं हो पाया था।

आखिर किन जगहों पर रखा है डेड़ स्टॉक बताया गया सामान

सहकारी संस्था मालनवासा में 43 हजार लीटर केरोसीन 2 हजार क्विंटल के करीब किसानों को वितरित किये जाने वाला खाद भी बड़ी संख्या में डेढ स्टाक बताया गया है। इस संस्था का जिस गांव में मुख्य कार्यालय है वहां तथा जहा पर भी इस संस्था के अधिन राशन की दुकाने है वहां पर 10 बाय 20 के कमरों में दुकानों और कार्यालय का संचालन किया जाता है। जगह ही नही है। तो फिर डेढ स्टाक बताया गया सामान जो की इतनी मात्रा में था कहा रखा हुआ है। सूत्रों के अनुसार कागजो में जगह किराये से लेकर वहां पर माल रखना बताया गया है जबकी हकीकत ये है की जगह किराए पर ली ही नही गई है। और यदि जगह किराये से ली गई है तो उसका किराया किनको और कितनी मात्रा मे दिया जा रहा है किराये की दर एवं अनुबंध पत्र कहा है। इसकी जांच से पूरे मामले की सच्चाई सामने आ सकती है।

आशिक हुसैन मंसुरी

ना डरते हैं ना डराते हैं सच सबके सामने लाते हैं

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