गेमिंग एडिक्शन का शिकार हो रहे बच्चे, टोकने पर हिंसक प्रवृति बढ़ी

भोपाल। कोरोना के समय बच्चों में मोबाइल की पड़ी आदत अब खतरनाक हो गई है। छोटे बच्चे शौक-शौक में ऑनलाइन गैम्बलिंग तक का शिकार हो रहे हैं। जब परिवार के खातों से पैसे उडते हैं तो उन्हें पता चलता है। गैम्बलिंग की लत बच्चों को बीमार कर रही है। वे गेमिंग एडिक्शन का शिकार हो रहे हैं। जीतने पर और पैसा लगाते हैं, हारने के बाद जीतने के लिए बड़ा जोखिम उठाते हैं। अक्सर बच्चों को बिजी रखने मोबाइल पकड़ा दिया जाता है और वो अनजाने में ऑनलाइन गेमिंग की जब्त में आ जाते हैं। लगभग हर परिवार में इस तरह की शिकायत रहती है। अब अगले सप्ताह से समर वेकेशन शुरु हो रहे हैं तो ऐसे में पेरेंट्स की चिंता ओर बढ़ गई है।

सिर्फ समझाइश देकर लत नहीं सुधारी जा सकती

काउंसलर श्रैया माखिजा ने बताया कि कि पेरेंट्स बच्चों को गेम खेलने से रोकते हैं तो वे जिद्दी बर्ताव करते हैं। माता-पिता को समझना होगा कि सिर्फ समझाइश देकर लत नहीं सुधारी जा सकती। बच्चों को दूसरी एक्टिविटी में बिजी रखेंगे तभी वे समझेंगे। अलग-अलग तरह की इनडोर या आउटडोर गेम्स में इन्वॉल्व करें। इसके अलावा बच्चों के साथ समय बिताएं।

एटीएम कार्ड बच्चों की पहुंच से दूर रखें

चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर अर्चना सहाय ने बताया कि पेरेंट्स को सावधानी रखनी होगी। हमारे पास आने वाले ज्यादातर बच्चों में मोबाइल की लत रहती है। जबकि कुछ बच्चे अब गेम की आड़ में गैम्बलिंग का शिकार हो रहे हैं। एटीएम कार्ड बच्चों की पहुंच से दूर रखें और उन्हें ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के पासवर्ड भी न बताएं।

बच्चों को मोबाइल लिट्रेसी दें

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