बाजार में मावे की आवक और मावे का निर्माण भले ही 5 से 8 क्विंटल ही हो रहा हो, जिले का 1 लाख 30 हजार लीटर दूध अकेले सांची के…

बाजार में मावे की आवक और मावे का निर्माण भले ही 5 से 8 क्विंटल ही हो रहा हो, जिले का 1 लाख 30 हजार लीटर दूध अकेले सांची के दाे प्लांटों के माध्यम से पैकेटों में पैक हाेकर खप जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके दुकानों पर बिकने वाली अधिकांश मिठाइयां मावे की बताकर बेची जा रही हैं। दरअसल अधिकांश जगहों पर मावे की जगह प्रोपराइटी फूड यानी दूध पाउडर, वनस्पति घी आदि के स्वीट्स बनाए जा रहे हैं।
मावे की मिठाई बताकर प्रोपराइटी फूड पाउडर से बनी मिठाई लाेगाें काे दुकानदार थमा रहे हैं। खास बात यह है कि खाद्य विभाग मिठाई दुकानों पर तो छापा मारता है लेकिन मिठाई जहां बनती है उन गोदामों पर कार्रवाई ही नहीं करता। इन गोदामों पर बेहद गोपनीयता के साथ बिना मावे के रॉ मटेरियल के मिठाई बनाई जा रही है। पशुपालन विभाग के पंजीकृत गाे पालक के अांकड़ाें के अनुसार जिले में कुल 2 लाख लीटर दूध का ही उत्पादन हाेता है। जिसमें से 1.30 लाख ताे पैकेटों में ही पैक हाे जाता है।



260 से 280 रुपए किलो बिक रहा मावा
मावा बाजार में मावा 260 रुपए से लेकर 280 रुपए किलो तक बिक रहा है। इस तरह मावे के दाम काफी ज्यादा हैं। इसमें शक्कर और अन्य सूखे मेवे मिलाने पर मिठाई के दाम बहुत ज्यादा हो जाते हैं। इसके बावजूद मावे की मिठाई लगभग कच्चे मावे के दाम पर बेची जा रही हैं। यह दाम भी कई अाशंकाअाें का जन्म देते हैं।
मिठाई की दुकानों पर जांच, गोदामों पर पड़ताल की चिंता नहीं
बैतूल। गली-कूचों में संचालित कारखानों में इस तरह बनाई जाती है प्रोपराइटी फूड पाउडर से बनी मिठाई।
जानकारी : इस तरह पहचानें असली मावे को


