नई दिल्ली. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर एक किताब ‘द आरएसएस रोडमैप्स 21 सेंचुरी’ लिखी है. उन्होंने लिखा है कि संघ और हिंदुत्व से वही डरते हैं, जिनकी सोच बंदूक की नली से सत्ता स्थापित करना होती है. संघ और हिंदुत्व को लेकर जनता के बीच डर का माहौल वही लोग बनाते हैं, जो भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वालों का समर्थन करते हैं. उन्होंने किताब के विमोचन से पहले कहा कि सामान्य लोग संघ से नहीं डरते हैं. किताब का विमोचन 1 अक्टूबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) करेंगे.
‘संघ का विरोध करने से पहले संगठन को समझना बेहद जरूरी’
आंबेकर ने कहा कि 94 साल से आरएसएस समाज को मजबूत कर रहा है. संघ का विरोध करने से पहले इस संगठन को समझना जरूरी है. आरएसएस के लिए समाजिक विकास (Social Development) सबसे पहले है. दुनिया में किसी को भी हिंदुत्व से डरने की जरूरत नहीं है. हिंदुत्व का मूल एकत्व की अनुभूति है. अल्पसंख्यकों (Minorities) के नाम पर राजनीति करने वाले संघ को लेकर गलत धारणा फैलाते रहते हैं, लेकिन आरएसएस चुपचाप समाज के बीच अपना काम करता है. वामपंथियों (Leftist) पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि रूस (Russia), नेपाल (Nepal) और चीन (China) के कम्युनिस्टों (Communist) ने अपने देश की जय-जयकार करने में पूरी ताकत झोंक दी. भारत में इस मामले में बौद्धिक भ्रष्टाचार हो गया. यहां के वामपंथियों ने अपनी पूरी ताकत भारत के टुकड़े करने वालों के समर्थन में लगा दी है.
‘एक ही है राम जन्मभूमि, करोड़ों लोग वहां भव्य मंदिर चाहते हैं’
सुनील आंबेकर ने कहा कि राम मंदिर के मामले में संघ का रुख साफ है. भगवान राम देश की अस्मिता और हमारे सांस्कृतिक मूल्यों (Cultural Values) के प्रतीक हैं. भारत में राम जन्मभूमि एक ही है. करोड़ों लोगों की इच्छा वहां भव्य राम मंदिर बनाने की है. मंदिर निर्माण को लेकर होने वाला फैसला संविधान, कानून और लोकतंत्र के दायरे में होगा. उनकी किताब में संघ की कार्यप्रणाली और ढांचे के बारे में बताया गया है. किताब में बताया गया है कि संस्थापक डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार के मन में संघ की स्थापना का विचार कैसे आया. उन्होंने कहा कि संघ व्यापक संगठन है, जो कई विषयों को लेकर समाज में काम करता है. लिहाजा, संघ की भूमिका को एक किताब में समेटना चुनौतीपूर्ण था.
एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि डॉ. हेडगेवार चाहते तो खुद का राजनीतिक दल बना सकते थे. खुद उस दल के अध्यक्ष बन सकते थे. लेकिन, उनके मन में समाज को मजबूत बनाने का विचार था. किताब में बताया गया है कि संघ की शाखाओं का संचालन, प्रशिक्षण और गतिविधियां कैसे होती हैं. बता दें कि नागपुर के सुनील आंबेकर 40 साल से संघ के साथ जुड़े हैं. आंबेकर ने कहा कि इस किताब में संघ के संवैधानिक ढांचे के बारे में विस्तार से बताया गया है. किताब में आंबेकर के व्यक्तिगत अनुभव भी हैं. उन्होंने संघ में जातिगत भेदभाव पर कहा कि संगठन में किसी के साथ फर्क नहीं किया जाता है. संगठन से जुड़ने वाले किसी कार्यकर्ता से उसकी जाति नहीं पूछी जाती है.