भाजपा ने प्रदेश को अवरुद्ध विकास की गर्त में डाला : कमलनाथ

मत्री जी ने कहा नया कर नहीं लगायेंगे तब राज्य कर जो
2022-23 में 78137.24 करोड़ था, वह 2023-24 के बजट
अनुमान में 86499.98 करोड़ रू. कैसे हो गया

 

शिवराज सरकार ने आज अपना अंतिम बजट पेश किया। बजट को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि यह भाजपाई सत्ता की मप्र से विदाई का बजट है। इस बजट में सबसे बड़ा आघात मप्र की बेक बोन कही जाने वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। किसानां और ग्रामीण क्षेत्र की उपेक्षा जिस प्रकार इस बजट में की गई है वह बेहद निंदनीय है। इस बजट में न किसान और ग्रामीण क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि का कोई रोडमेप है, न औद्योगिक विकास की कोई इबारत लिखी गई, न युवाओं के रोजगार के अवसर सृजित होते हुए दिखाई दे रहे हैं, न अधोसंरचना विकास की विस्तृत सोच दिखाई देती है, न समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े हुए दलित, आदिवासी और पिछड़े भाईयों के भविष्य का ख्याल रखा गया है।
ग्रामीण विकास को धोखा और कर्जमाफी को रोका :-
सबसे दुखःद बात यह है कि हमारी सरकार ने जो 2 लाख रूपये तक के किसानों के कर्जमाफी की योजना प्रारंभ की थी, उसे भी बंद कर प्रदेश के किसानों के साथ बहुत बड़ा कुठाराघात किया है और फसल ऋणमाफी योजना के लिए शर्मनाक तरीके से सिर्फ 3 हजार रूपये का प्रावधान किया गया।
कृषि एवं उसकी सहायक गतिविधियां में सरकार ने विभिन्न विभागां को जैसे किसान कल्याण तथा कृषि विकास, उद्यानिकी, पशुपालन, ऊर्जा, लोक निर्माण, जल संसाधन, ग्रामीण विकास जैसे 14 विभागां को सम्मिलित कर उसमें 53964.80 करोड़ रूपये वर्ष 2023-24 में प्रस्तावित किये हैं। जबकि 2022-23 के पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार यह प्रावधान 60854.1 करोड़ रूपये था। अर्थात पुनरीक्षित अनुमान के आधार पर लगभग 6000 करोड़ रू. कृषि एवं किसान कल्याण और उसकी सहायक गतिविधियों में कम करके किसानां और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2022-23 में 2930 करोड़ रूपये प्रावधानित किये गये थे, जिसे बेहद कम करते हुये 1826 करोड़ रू. कर दिया गया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 2022-23 में 2205 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया था, जिसे घटाकर 1765 करोड़ रूपये किया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2022-23 में 400 करोड़ रू. था जिसे घटाकर 100 करोड़ रू. किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी पिछले वर्ष की तुलना मेंं 800 करोड़ रू. कम कर दिये गये हैं। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना में शर्मनाक तरीके से मात्र 6000 रू. का प्रावधान किया गया है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में भी मप्र के किसानों के भविष्य के साथ छल करते हुए किसानां की ऋण माफी योजना जो कांग्रेस सरकार ने प्रारंभ की थी, जिसके तहत 27 लाख किसानां का कर्ज माफ कर दिया गया था, उस योजना में मात्र 3000 रूपये का प्रावधान करके समूचे प्रदेश के किसानों के साथ छल किया गया है।
मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना में जहां 2021-22 में 3000 करोड़ रूपये खर्च किये गये थे, वहां इस बजट में मात्र 1000 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में भी 500 करोड़ रूपये कम है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में भी लगभग 250 करोड़ रूपये की कमी की गई है। कृषि क्षेत्र में अधोसंरचना विकास के बजट में भी पुनरीक्षित अनुमान से 40 प्रतिशत की कटौती की गई है।
मप्र भाजपा सरकार ने न सिर्फ किसानों और प्रदेश के ग्रामीण विकास के साथ छलावा किया है, अपितु भगवान प्रभु श्री राम के प्रति आस्था रखने वाले प्रदेश के करोड़ों लोगां को ठेस पहुंचायी है।
आस्था पर आघात :-
मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने वनवास का अधिकांश समय मप्र में व्यतीत कर अपनी चरणधूली से प्रदेश धन्य हुआ। मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारी सरकार के समय हमने विस्तृत योजना तैयार की थी मगर वर्तमान भाजपा सरकार ने समूचे प्रदेश की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए राम पथ गमन अंचल विकास योजना के मद में शून्य बजट का प्रावधान कर अपनी धार्मिक मानसिक शून्यता का प्रदर्शित किया है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रावास के बजट में कमी करना, अनसूचित जाति-जनजाति की बस्तियों के विकास योजना के मद को पिछले वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत की कटौती कर देना। इसी प्रकार अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों के आवास सहायता के बजट को पुनरीक्षित अनुमान (2022-23) 177 करोड़ से 103 करोड़ कर देना दर्शाता है कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग नहीं हैं।
झूठे आंकड़ों पर आधारित बजट :-
बजट भाषण में मंत्री जी ने उल्लेख किया कि राजकोषीय घाटा एफआरबीएम एक्ट के तहत तीन प्रतिशत परमिसिबल है और .5 प्रतिशत ऊर्जा क्षेत्र के सुधार के आधार पर अतिरिक्त अनुमति हासिल की जा सकती है। मगर वर्तमान बजट में राजकोषीय घाटा
4.02 प्रतिशत रखा गया है जो कि एफआरबीएम एक्ट के खिलाफ है।
मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में कहा कि हम कोई नया कर नहीं लगा रहे हैं। तब सरकार को बताना चाहिए कि राज्य कर जो 2022-23 में 78137.24 करोड़ था, वह 2023-24 के बजट अनुमान में 86499.98 करोड़ रू. कैसे हो गया। बगैर कर लगाये राज्य कर में इतनी बड़ी वृद्धि कैसे बतायी गई है। इतना ही नहीं सकल राज्य घरेलू उत्पाद के आंकड़े भी पहली दृष्टि में विश्वास योग्य नहीं हैं। जिसके आधार पर विकास दर बतायी गई है। 2021-22 में जीएसडीपी की वृद्धि लगभग 7.5 प्रतिशत थी, जो इस बार 10 प्रतिशत बतायी गई है।
मप्र पर कुल कर्ज 385973.02 करोड़ रू. है जो कि जीएसडीपी का 28 प्रतिशत है। जबकि यह 25 प्रतिशत से नीचे होना चाहिए।
रेवेन्यु रिसीट में भी 55 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार से आता है और राज्य का हिस्सा 45 प्रतिशत है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र की 7.5 करोड़ की आबादी पर प्रति व्यक्ति लगभग 51 हजार रूपये कर्ज हो गया है।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम योजना का जिक्र तक नहीं किया गया, जिसे कांग्रेस सरकार में आते ही लागू करेगी। इतना ही नहीं कई जगह बजट भाषण में वित्त मंत्री जी ने योजनाओं में प्रस्तावों की चर्चा की जबकि बजट में प्रावधान किये जाने का ही महत्व है।

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