भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक के हिस्से के तौर पर 1 और 2 कार्य समूहों के लिये हितधारक कार्यक्रम की केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने सह-अध्यक्षता की। उनके साथ विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर और केन्द्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर भारतीय पक्ष की ओर से जबकि यूरोपीय आयोग की कार्यकारी उपाध्यक्ष सुश्री माग्रेथे वेस्टागेर और यूरोपीय आयुक्त श्री थेरी ब्रेटान ने यूरोपीय संघ (ईयू) की ओर से बैठक में भाग लिया।

भारत और यूरोपीय संध के विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों से 18 हितधारकों ने कार्यक्रम में भाग लिया तथा अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किये। भारतीय पक्ष की ओर से पांच हितधारकों ने डिजिटल और प्रौद्योगिकी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया (कार्य समूह 1) जबकि तीन ने स्वच्छ और हरित उर्जा प्रौद्योगिकियों का प्रतिनिधित्व (कार्य समूह 2)।

बैठक के दौरान डिजिटल प्रौद्योगिकियों, नवोन्मेष और विघटन, सीमापार कारोबार भुगतान के लिये अंतरपरिचालक्ता, पुनर्वैश्वीकरण, सक्षम सुसंगत मानक, भारत और ईयू के बीच डिजिटल व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिये नियमन और नीतियां, बड़े पैमाने पर डिजिटल क्षेत्र में बदलाव, प्रतिभाओं को बेहतर और कुशल बनाने की आवश्यकता, नये नवाचारों और प्रौद्योगिकियों का सक्षम प्रमाणीकरण, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अनुबंध, बैटरी प्रणाली और पुनर्चक्रण, बेहतर पहुंच के लिये चार्जिंग तंत्र को व्यापक बनाना, अपशिष्ट और जल प्रबंधन जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।

श्री पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में और बाद में किये गये हस्तक्षेप में नई डिजिटल प्रौद्योगिकी और बदलावों पर जोर देते हुये कहा कि इससे मौजूदा प्रतिभाओं को फिर से कुशल और उनके कौशल उन्नयन में मदद मिल रही है। मंत्री ने कहा कि एक दूसरे की डिग्रियों/पाठ्यक्रमों को मान्यता से दोनों तरफ संयुक्त कौशल विकास हो सकेगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आपसी संवेदनशीलता आधारित गहरी समझ विकसित करने के लिये कार्यसमूहों को समय समय पर मिलना चाहिये और स्पष्ट एवं पहचानयोग्य सुपुर्दगी की दिशा में बढ़ने के लिये कौशल एवं प्रतिभा, सेमिकंडक्टर परिवेश सहित अन्य के लिये अलग ट्रैक की पहचान करनी चाहिये।

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