
- हजारों विद्यार्थी हो रहे परेशान, रोजाना लगा रहे विवि के चक्कर
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने भले ही राजभवन को बताया है कि विश्वविद्यालय में सबकुछ ठीक है, लेकिन वास्तविकता अलग ही है। विवि परिक्षेत्र के हजारों विद्यार्थी अपनी अंकसूची के लिए परेशान हो रहे हैं। विद्यार्थियों को आश्वासन दिया था कि एक माह बाद अंकसूची दी जाएगी पर अब यह भी बताने की स्थिति में नहीं है कि अंकसूची कब मिलेगी।
परीक्षा परिणाम तैयार करने का कार्य अधूरे डाटा के साथ अनुभवहीन एजेंसी से कराने का खमियाजा विक्रम विश्वविद्यालय के हजारों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। डाटा के अभाव में उत्र्तीण विद्यार्थी संशोधित अंकसूची के लिए विवि के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा सेमेस्टर सिस्टम परीक्षा प्रणाली में एटीकेटी प्राप्त विद्यार्थियों के लिए शासन के निर्देश पर विशेष एटीकेटी परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें उत्र्तीण विद्यार्थी की अंकसूची में उत्र्तीण के स्थान पर प्री-एटीकेटी दर्ज है। एेसा रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी के पास डाटा उपलब्ध नहीं होने के कारण हुआ है। संशोधित अंकसूची नहीं मिलने से विभिन्न संकाय के एटीकेटी में उत्तीर्ण विवि परिक्षेत्र के हजारों छात्र-छात्राएं परेशान हैं।
थमा दिए थे प्रमाण-पत्र
विश्वविद्यालय में प्रतिमाह समाधान शिविर का आयोजन कर छात्र-छात्राओं की समस्याओं का निरकारण किया जाता है। बीते माह आयोजित शिविर में संशोधित अंकसूची के लिए विवि पहुंचे विद्यार्थियों को विवि प्रशासन द्वारा संशोधित अंकसूची जल्द देने का आश्वासन देकर सत्यापित प्रमाण-पत्र जारी किए थे। विद्यार्थियों ने प्रारंभिक तौर पर तो इन प्रमाण-पत्र से काम चला लिया पर एक माह बाद उन्हें मूल अंकसूची की आवश्यकता है। अक्टूबर के समाधान शिविर में अंकसूची के लिए अनेक विद्यार्थी विवि पहुंचे थे। विवि प्रशासन इन्हें अंकसूची देने में असफल रहा। महत्वपूर्ण तो यह कि विवि के अधिकारी, छात्रों को यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि अंकसूची कब तक तैयार हो जाएगी। विवि परिक्षेत्र के करीब ३५०० छात्र-छात्राओं को संशोधित अंकसूची का इंतजार है।