बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया है कि बेटी की शादी के बाद ही पिता उसकी भरण पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त होगा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया है कि बेटी की शादी के बाद ही पिता उसकी भरण पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त होगा, अन्यथा बालिग बेटी की कमाई के सबूत के अभाव में उसकी देखरेख व भरण पोषण पिता का कर्तव्य है। पत्नी व बेटी के मेनटिनेंस (भरण पोषण) की रकम को बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर की गई पति की याचिका को खारिज करते हाई कोर्ट ने यह बात कही। याचिका में पति ने दावा किया था कि कृषि व्यवसाय से उसकी पत्नी और बेटी को क्रमशः ढाई सौ से दो सौ रुपये रोजाना मिलते हैं। साल 2021 में बालिग बेटी का विवाह हो गया है, जबकि पत्नी ने उसका साथ छोड़ दिया है। इसलिए मां-बेटी मेनटिनेंस की हकदार नहीं है। फैमिली कोर्ट ने 2015 में पति के 46 हजार रुपये से अधिक वेतन को देखते हुए पत्नी को आठ हजार रुपये और बेटी को सात हजार रुपये बतौर भरण पोषण देने का निर्देश दिया था।

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