झाबुआ 09 सितम्बर, 2023। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार एवं प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्रीमती विधि सक्सेना के मार्गदर्शन 9 सितम्बर-2023 दिन शनिवार को झाबुआ जिले की वर्ष की तृतीय नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
आज के समय में वैवाहिक जीवन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई बार छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। इससे उनके परिवार और बच्चों को भी परेशानी होती है। ऐसे में लोक अदालत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नी फिर एक बार साथ रहने लिए राजी हुए। पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर विवाद होता था। इससे उनके बीच दूरियां बढ़ गई थीं। पत्नी ने भरण-पोषण के लिए कोर्ट में केस दायर कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक आवेदिका की शादी आवेदक से लगभग 10-11 वर्ष पूर्व भील जाति रिति अनुसार हुई थी। शादी के 2 वर्ष बाद ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। विवाद बढ़ता गया और दोनों अलग-अलग रहने लगे। पत्नी ने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए न्यायालय में केस दायर कर दिया था। पत्नी का कहना था कि उसका पति शराब पीकर लड़ाई झगड़ा, गाली गलोच तथा मारपीट करता था। मुझे टी.बी की बीमार है फिर भी पति उसका इलाज नहीं करवाता था तथा घर में राशन आदि भी नहीं लाता था। उसके पति ने मारपीट कर उसके माता-पिता के यहां भगा देता था। आवेदिका ने बताया कि उनकी तीन संताने है। पति ने मारपीट कर मुझे और मेरी एक संतान को घर से निकाल दिया और 2 संतान को खुद के पास रख लिया। इस कारण से मेने न्यायालय में भरण-पोषण का केस दायर किया।
9 सितम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नी को बुलाया गया। प्रधान जिला न्यायाधीश श्रीमती विधि सक्सेना जी ने पति-पत्नी को समझाया कि शादी एक पवित्र बंधन है और इसे तोड़ना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी को एक-दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी को मिलकर अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहिए। प्रधान जिला न्यायाधीश के समझाने पर पति-पत्नी एक-दूसरे को माफ करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि वे फिर से साथ रहकर अपने जीवन को बेहतर बनाएंगे। इस घटना से यह पता चलता है कि लोक अदालत पति-पत्नी के बीच की दूरियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। न्यायाधीशों के समझाने से पति-पत्नी को अपने गलतियों का एहसास होता है और वे एक-दूसरे के साथ रहने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसलिए पति-पत्नी को चाहिए कि वे किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए पहले एक-दूसरे से बात करें। यदि वे एक-दूसरे की भावनाओं को समझ लें और एक-दूसरे का सम्मान करें तो उनके बीच की दूरियां कम होंगी और वे एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं। प्रधान जिला न्यायाधीश के समझाने पर पति और पत्नी ने एक-दूसरे को माफ कर दिया और फिर से साथ रहने के लिए तैयार हो गए। दोनों ने लोक अदालत में एक-दूसरे को माला पहनाई और फिर से एक साथ रहने की शपथ ली। प्रधान जिला न्यायाधीश ने दोनों पति-पत्नी को फलदार पौधे देकर खुशी-खुशी न्यायालय परिसर से रवाना किया और दोनों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ हमेशा खुश रहना चाहिए।
झाबुआ से ब्यूरो चीफ रणवीर सिंह सिसोदिया की रिपोर्ट
