आमजनता की सहायता में 24 घंटे सेवा में तत्पर रहने वाली रेडक्रास को खुद मदद की दरकार

रेडक्रास में अनियमतताओं पर नहीं दे रहा कोई ध्यान,लोगो की मदद को तैयार रहने वाली रेडक्रास पहुंची बदतर हालातों में

रसीद कट्टे गायब, अनैतिक गतिविधियां, ब्लड बैंक की तुडवाई एफडी का आज तक हिसाब नहीं

नीमच। भारतीय रेडक्रास सोसायटी नीमच जिले में एक समय आमजन के हितार्थ काम करने वाली प्रमुख संस्था होकर मानव सेवा का पर्याय बन चुकी थी, चाहे एम्बूलेंस सेवा की बात हो, मेडिकल की बात हो, फिजियोथैरेपी सेंटर की बात हो, वृद्धाश्रम की बात, जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र (डीडीआरसी) की बात, मूकबधिर स्कूल की बात हो, किलकारी की बात हो ऐसे रेडक्रास की विभिन्न ईकाईयां है जो वर्तमान में दयनीय हालातो में पहुंच चुकी है।
मूकबधिर विद्यालय में कई बच्चों का भविष्य संवर रहा है लेकिन वहां व्यवस्थाओं के नाम पर हालात बदतर हो रहे है।
वर्तमान में रेडक्रास के हालात ये हो रहे है कि आमजनता के हित में यहां निःशुल्क रूप से व वाजिब दामों पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जब से इस संस्था में चुनाव हुए थे और चुने हुये पदाधिकारियों ने खूब मनचाहा कार्य किया । तब से लेकर आज तक रेडक्रास दयनीय हालातो में पहुंच चुकी है। जो रेडक्रास लोगों की सहायता करती थी वो आज खुद मोहताज नजर आ रही है। वर्तमान में रेडक्रास में स्वार्थ सिद्ध करने का क्रम चल रहा है।
पीड़ित मानवता के नाम पर काम करने वाली संस्था अब एक दुकान बन चुकी है जहां आमजनता को सेवा के नाम पर आर्थिक रूप से लूटने का काम हो रहा है।
सूत्रों की माने तो रेडक्रास में कोरोना काल में दानवीरों ने खूब धन दिया था खुले मन से रेडक्रास को आर्थिक मदद की थी सूत्रों से जानकारी मिली व जानकारों द्वारा बताया जा रहा है कि रेडक्रास में करीब 39 लाख रूपये लोगो की आर्थिक मदद से एकत्रित हो गये थे उसके बाद भी आज रेडक्रास की विभिन्न संस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिये परेषानियां आ रही है।
वृद्धाश्रम में सही खाना नहीं मिल पा रहा है। वृद्धाश्रम का स्टिंग ऑपरेशन करे तो वृद्धों के साथ क्या बितती है पता चलेगा। लोगो को आसानी से कम दाम में उपलब्ध होने वाली रेडक्रास की एम्बूलेंस सेवा बंद कर दी गई।, फिजियोथेरेपी सेंटर में रेडक्रास द्वारा दानदाता के सहयोग से लगाई गई मशीनों का दुरूपयोग हो रहा है फिजियोथैरेपी सेंटर को निजी हाथों में देकर आमजनता को आर्थिक रूप से खूंन के आंसू रूलाने का काम किया जा रहा है। फिजियोथेरेपी सेंटर निजी हाथों में जाने से तब दान की मशीनों से खूब व्यापार हो रहा है वह अब व्यापार सेंटर बन गया है। बदतर हालातों में रेडक्रास पहुंच चुकी है।
रेडक्रास की वर्तमान में निजी हाथो में व्यवस्था जाने के बाद यहां सेवा नाम की चीज ही नहीं बची है यहां हो रहा है तो खुद की स्वार्थ पूर्ति का काम हो रहा है। जबकि पूर्व में जब रेडक्रास का संचालन प्रशासन के हाथो में था तब यहां की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती थी। लेकिन अब यहां बदतर हालात हो रहे है। यदि 2008 के समय काम करने वाले रेडक्रास के सचिव जाधव साहेब व कोषाध्यक्ष रहे पुरोहित जी आदि पदाधिकारियों से चर्चा की जाये तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा और वस्तुस्थिति सामने आ जायेगी। बाद में कैसे रेडक्रास बदतर हालातों में पहुंची। वर्ष 2009 तक तो रेडक्रास एम्बूलेंस, रेडक्रास मेडिकल, रेडक्रास फिजियोथैरेपी सेंटर आदि विभिन्न शाखाएं सही ढंग से आमजनता की सेवा में समर्पित थी लेकिन आज रेडक्रास पीडित मानवता के लिये संस्था ना होकर असहाय हो चुकी है।
रसीद कट्टे गायब-
सूत्रों से एक जानकारी ये भी निकलकर सामने आ रही है कि रेडक्रास को कोरोना काल में जिन लोगो ने आर्थिक मदद की थी उस समय काटी गई रसीद के करीब 8 से 10 बीच रसीद कट्टे गायब है जो गंभीर चिंतन के साथ जॉंच का विषय है। बड़े घपले की संभावना रेडक्रास में नजर आ रही है। रेडक्रास मुख्य कार्यालय में सेवा देने वाले कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जरूरत है कलेक्टर को यहां गंभीरता से जॉंच करवाने की। यदि गंभीरता से यहां की जॉंच होती है तो निश्चित ही बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
जिला विकलांग एवं पुनर्वास केन्द्र की अनैतिक गतिविधियां-
जिला विकलांग एवं पुनर्वास केन्द्र नीमच में शासन से कई योजनाओं के तहत काफी महंगा और कीमती सामान मिलता है लेकिन वो जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है इसकी पूर्व में कई बार शिकायते हुई थी लेकिन आज दिन तक इस और ध्यान देने वाला कोई नहीं है। डीडीआरसी के माध्यम से दिव्यांगो के हितों का ध्यान रखा जाता है लेकिन बीते कुछ सालों से आने वाले सामानो के लिये जरूरतमंद यहां वहां गुहार लगाते फिरते है लेकिन वो सामान उन्हें नहीं मिल पाता है आखिर वह सामान जाता है कहा है यह गंभीर जॉंच का विषय है वहीं दिव्यांगों के लिये शासन से आने वाले फंड रूपयों का क्या होता है यह भी जॉंच का विषय है क्यों कि दिव्यांगों के लिये विभिन्न सुविधा हेतु कार्यक्रम हेतु रूपये आते है लेकिन उनका सदुपयोग नहीं होते हुए दुरूपयोग होता है जिसकी गंभीरता व गोपनीयता से जॉंच की जाना अनिवार्य हो गई है।
जिला पंचायत में सेवा देने वाले कर्मचारी जो सामाजिक न्याय से फंड जारी करने हेतु रेडक्रास नीमच को शासन से मिलने वाली चीजों का रूपयों का हिसाब किताब रखता है उनकी भी गंभीरता से जॉच होना जरूरी है।
रेडक्रास ब्लड बैंक में 32 लाख की एफडी का क्या हुआ?-
रेडक्रास को सबसे अधिक आय देने वाले रेडक्रास का ब्लड बैंक है जो आज भी अनवरत पीड़ित मानवता की सेवा में लगा है। वर्ष 2009-2010 में जब यहां चुनाव हुए थे जिसमें रेडक्रास के आजीवन सदस्यों ने चेयरमेन और अन्य सदस्यों का चुनाव किया था बाद में चेयरमेन ने अपनी सेटिंग के माध्यम से अपने चहेते को यहां सचिव पद पर आसीन करवाया था जिससे की तत्समय खूब मनमर्जी की थी। यदि इसकी गंभीरता से जांच की जाये और तत्तसमय 2009 से 2013 के बीच की जानकारी निकाली जाये तो कार्यकारिणी प्रमुख सदस्यों ने रेडक्रास ब्लड बैंक में जमा एफडी जो लगभग 32 लाख से उपर थी उसको तुडवाकर उसका उपयोग फिजूल खर्ची के साथ ही रेडक्रास में ऐसे कार्यक्रम किये थे जो खुद के प्रचार प्रसार के लिये उपयोग में आये थे। आज तक किसी ने भी इसकी जांच नहीं की। यदि 2009 के पूर्व के रेडक्रास के संचालनकर्ता जो चुनाव कार्यकारिणी के पूर्व रेडक्रास का संचालन करते थे जाधव जी व पुरोहित जी से यदि उनसे चर्चा की जाये तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा क्यों
कि रेडक्रास ब्लड बैंक में खून के नाम से एकत्रित हुए रूपयों को मानव
सेवा में नहीं लगाते हुए तत्समय
खुद के स्वार्थ पूर्ति और प्रचार प्रसार के लिये उपयोग कर पानी में बहाये थे।
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रेडक्रास फिजियोथैरपी सेंटर बना व्यापार सेंटर-
रेडक्रास फिजियोथैरेपी सेंटर में दान से मिली मशीनों का दुरूपयोग हो रहा है। निजी हाथों में देकर जरूरतमंदों को दुख भोगने के लिये छोड़ दिया है। पहले जो 50 रूपयें के साथ ही नाम मात्र शुल्क में आमजन को सेवा मिल जाती थी अब वो 100 रूपयें व इससे अधिक प्रतिदिन शुल्क के रूप में मिल रही है। और तो और यहां लगने वाले स्वास्थ्य शिविर भी अब व्यवसाय बन चुके है। फिजियोथेरेपी सेंटर को निजी हाथो में सौंप उसको फायदा पहुंचाने एवं स्वयं का स्वार्थ सिद्ध करने का काम कर रहे है। यहां आश्चर्य होता है कि जब यहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ गुप्ता का व अन्य का हड्डी रोग का शिविर लगता है तब डॉ मरीज को कहते है कि एक्सरसाईज करना है और एक्सरसाईज कैसे करना है वो फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर बता देंगे आश्चर्य तब होता है जब कि जो वर्तमान में फिजियोथेरेपी सेंटर चला रहे है वो डॉक्टर एक्सरसाईज हाथ उपर नीचे बताने का ही 100 रू चार्ज लूट रहा है जब जागरूक व्यक्ति इस पर आपत्ति लगाते है और बहस करते है तब जाकर वह 100 रूपयें लोटाता है। वर्तमान में लूट की दुकान बन चुकी है फिजियोथेरेपी सेंटर। एक तरह से रेडक्रास के नाम पर यहां कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे है।

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